दूर नगरी बड़ी दूर नगरी,..(२)
कैसे आऊँ मैं कन्हाई तेरी गोकुल नगरी
रात को आऊंतो काना डर मोहि लागे,.(२)
दिन को आऊं तो देखे सारी नगरी (२)
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी,..(२)
सखी संग आऊं काना शर्म मोहि लागे(२)
अकेली आऊं तो भूल जाऊ डगरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी,..(२)
धीरेधीरे चलूँ तो कमर मोरी लचके(२)
झटपट चलूँ तो छलकाए गगरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी,..(२)
मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर
तुमरे दरसन बिन में तो हो गई बावरी
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी,..(२)
-मीराबाई,
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