जमुना के तट पर कभी पगथर पे छबि तेरी भाये
होके जुदा मुजसे प्रिय कभी तुम्हे चेन आता हे
सारे व्रज में रहता हूँ मिलने को तरसता हूँ
मुझसेमिली मेंदीवानी बनी तूमेरे सपनोंकी रानीबनी
आजा मोहन आजा यमुना तीरे चुपकेसे आजातु धीरे
दर्शन कोतेरे जियाये तड़पे करके बहाना तू चलीआना
छोड़ के नजाना क्या दूर जाके दिल मुझे भूल जाना हे
तेरी याद सताती हे मुझे बहोत सताती हे,...(२)
आंखो मे तुहि बसी हे मुझे बहोत रुलाती हे
आंखो मे तुहि बसी हे प्रिय बिन तेरे कैसे बिताये
कोई भी जाने ना हालत हे पागल बना देगी मुझे
किसीकी मिली हे मुझे ये सजा तड़पाती हे,...(२)
अब चुप रहना बीत गई रैना तेरे बिना कृष्ण
होके जुदा मुजसे प्रिया कभी तुम्हे चैन आता हे,..
-राधाकृष्ण भजन,
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