नट खट बड़ा हे माँ तेरो कन्हैया
पनघट से निकली जब भरके गगरिया
अरे इस तेरे लल्ला ने पकड़ी कलाई
हाँ झटके से मोरी मटकी गिराई
जबसे ही कन्हैया ने खींची मोरी अंगिया
फिर क्याहुआ शोर मच गया मोरी मैया
रस्ता मेने बदला रस्ते पे जोवो खड़ा था
पनघट से पहले जा वो खड़ा वो था
वहाँ शोर मच गया हाय मोरी मैया
बिच बजरिया घेरे सखियाँ भी संगमे मेरे
कैसे बताँऊमें उसको बताऊँ कि बताऊँ
किस किस को बताऊँ की इनको बताऊँ
ऐसे फंसी में दैया रे दैया फोड़ने कनैया
मटका गया रे जुल्म कर गया रे कनैया
फिरक्या हुआ वहां शोर मचगया मोरी मैया
नट खट बड़ा हे माँ तेरो कन्हैया,..
-राधाकृष्ण भजन,
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